December 24, 2024

यह खुशी की बात है,की क्षेत्र के लोगों ने जिला पार्षद अलका झा जैसे जनप्रतिनिधि को चुनकर बहुत ही अच्छा काम किया:- जिप अध्यक्ष बिंदु गुलाब यादव

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बेनीपट्टी
बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी भू-भाग की परजुआर पंचायत के दहिला गांव के रामचंद्र यादव के घर के समीप पीएमजीएसवाई सड़क से दहिला कोशी नहर तक 450 फीट की दूरी में नवनिर्मित पीसीसी सड़क एवं अरुण यादव के घर से पीएमजीएसवाई मुख्य सड़क किनारे 700 फीट की दूरी में नवनिर्मित नाला का उद्घाटन शुक्रवार को मधुबनी की जिला परिषद अध्यक्षा बिंदु गुलाब यादव, बेनीपट्टी के बीडीओ डॉ. रवि रंजन आदि ने फीता काटकर किया। दरअसल, 20 लाख 70 हजार रुपए की लागत से जिला परिषद की षष्टम वित्त आयोग योजना मद से उक्त सड़क एवं नाला निर्माण की अनुशंसा बेनीपट्टी जिला परिषद क्षेत्र संख्या 9 की सदस्या अलका झा ने की थी।
जिला पार्षद अलका झा के द्वारा उक्त सड़क का नामकरण ‘नेताजी चंद्रकांत झा मार्ग’ किया गया है। इस मौके पर अपने संबोधन में जिला परिषद अध्यक्षा बिंदु गुलाब यादव ने कहा कि पूरे जिले में जिला परिषद से अनेकों योजनाओं का काम हो रहा है। इस सड़क का नामकरण स्व. चंद्रकांत झा के नाम से किया गया है। यहां पूरे ग्रामीणों की एकजुटता को देखकर बहुत अच्छा लगता है। यह खुशी की भी बात है। क्षेत्र के लोगों ने जिला पार्षद अलका झा जैसे जनप्रतिनिधि को चुनकर बहुत ही अच्छा काम किया है। इन्होंने अपने क्षेत्र में ऐसे अनेकों योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है। आमजनता नेता हमेशा सही चुनें। जिला पार्षद अलका झा आपलोगों की सेवाएं कर रहीं हैं। अपने संबोधन में बीडीओ डॉ. रवि रंजन ने कहा कि परजुआर पंचायत के विकास को जिला पार्षद अलका झा के द्वारा नई गति दी गई है। वो विकास के प्रति काफी सजग हैं। राजनीतिक पुरखों के नाम पर सड़क का नामकरण करना सराहनीय काम है। इस मौके पर बेनीपट्टी प्रखंड जदयू अध्यक्ष प्रदीप कुमार झा बासु, राजद प्रखंड अध्यक्ष रामबरण राम, राजद के जिला महासचिव विजय कुमार यादव, समाजसेवी मुकेश झा, सुंदर मिश्र, अमोल झा, हरिकांत झा, जदयू नेता विनोद मंडल, डॉ. शंकर झा, भोगी मिश्र, शिवशंकर पासवान, राजा मिश्र, राधेश्याम यादव, पूर्व मुखिया लाल नारायण सिंह, सतनजीव झा, नवकान्त झा, शांति देवी, सरपंच मीनू देवी, ई. सुनील सुमन आदि उपस्थित थे। वहीं इस उपलक्ष्य में जिला पार्षद अलका झा के द्वार सभी आगंतुक अतिथियों को मिथिला के पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार पाग-गमछा एवं सुंदरकांड पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया गया।

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