December 24, 2024

कवि गोष्ठी में दिवंगत आत्मा प्रसिद्ध साहित्यकार उषा किरण खान को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 

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कार्यक्रम में उपस्थित कवि 
मधुबनी
साहित्यिक साधना स्थली, मधुबनी की मासिक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन दि: 15 फरवरी, 2024 को केन्द्रीय पुस्तकालय, तिलक चौक, मधुबनी के सभागार में वरिष्ठ कवियों की गरिमामय उपस्थिति में आयोजित हुई। गोष्ठी की शुरुआत साहित्यिक साधना स्थली के अध्यक्ष पूर्व प्राचार्य, कवि प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल के स्वागत-अभिनंदन से हुई। वरिष्ठ आध्यात्मिक कवि श्री भोलानन्द झा की अध्यक्षता, रेवती रमण झा के कुशल संचालन एवं समीक्षा डॉ. विनय विश्वबंधु ने किया। माँ शारदे को समर्पित इस गोष्ठी में सर्वप्रथम ‘नमन हे। सरस्वती माँ वाणी’ रचना की सस्वर प्रस्तुति डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल द्वारा दी गई जिससे संपूर्ण गोष्ठी में आध्यात्मिक वातावरण बन गया। डॉ. बिजय शंकर पासवान ने पुस्तकालय की प्रगतिशीलता पर प्रकाश डाला। माँ शारदे को ही समर्पित उदय जायसवाल की रचना ‘माँ शारदे तेरी वीणा कृष्ण की गीता-राम की सीता’ भक्तिमय प्रस्तुति, दयाशंकर मिथिलांचली द्वारा ‘गे मेऽ तकहिने हमरो हम छी मूरख चपाट गै’ माँ को समर्पित रचना खूब सराही गई। डॉ. राम दयाल यादव ‘नेता और उनके चरित्र’ वर्तमान राजनीति की ओर इशारा करती रचना, दीपक कुमार झा दीपू ‘वेलेंटाइन अएलै’ वेलेंटाइन डे का मिथिला संस्कृति पर बढ़ता प्रभाव, ज्योति रमण झा ‘बाबा’ की प्रस्तुति ‘गाँव भागा जा रहा है शहर को देखो’ गाँव की स्थिति को बयां करती रचना, शिव नारायण साह ‘आधुनिक युग का पंच’ सभी को सोचने पर मजबूर किया। डॉ. विनय विश्वबंधु की समसामयिक रचना ‘वसंत चारूदिस अछि हरियरी पसरल’ वसंत वर्णन सब का ध्यान आकृष्ट किया। रेवती रमण झा ‘लड़कियाँ उन सभी क्षेत्रों में जहाँ कभी सिर्फ लड़के ही जाते थे’ रचना मातृशक्ति को समर्पित नारी उत्थान को दर्शाती रचना खूब वाहवाही लूटी। पूर्व बैंक अधिकारी वेदानन्द साह का ‘राष्ट्रगान’ के महत्व पर सारगर्भित उद्बोधन, कथाकार चण्डेश्वर खाँ का लघुकथा ‘ताला-पिता-पुत्रक संबंध’ वर्तमान में वृद्ध लोगों की स्थिति को चरितार्थ करती कथा खूब तालियाँ बटोरी। भोलानंद झा ‘सहनशीलता और आध्यात्मिकता निखार लाती है’ आध्यात्मिक रचना, मिथिला हास्य सम्राट डॉ. बंशीधर मिश्र की हास्य व्यंग्य रचना ‘पूछू जुनि सरकार’ सभी को हँसने पर मजबूर किया। गोपाल झा अभिषेक ‘हिंसा होइत रहलए परिणामकारी’ गाँधी को समर्पित रचना, प्रो. विनोद शंकर झा ‘सब कुछ है गौण’ रहस्यपूर्ण रचना गोष्ठी में सराही गई। धन्यवाद ज्ञापन दयाशंकर मिथिलांचली द्वारा दी गयी। अंत में दिवंगत आत्मा प्रसिद्ध साहित्यकार उषा किरण खान को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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