किसान तामिलनाडु,असम, आंध्रप्रदेश , बंगाल के व्यापारियों के हाथों बेच रहे धान
ट्रक पर लदा हुआ धान
खजौली
किसानों के धान की खरीदने के लिए सभी पंचायतों में पैक्स है।प्रखंड क्षेत्र में एक व्यापर मंडल और 14 पैक्स है। लेकिन आलम यह है की पैक्स को धान बेचने की कागजी कार्रवाई में परेशानी और समय पर पैसा नहीं मिल पाने से किसान सीधे व्यापारियों के हाथ धान बेच रहे हैं। पैक्स में भुगतान में देरी एवं समर्थन मूल्य और खुले बाजार की कीमत में ज्यादा अंतर नहीं होने से किसान खुले बाजार में ही धान बेचकर अपना काम निकाल रहे हैं। दरअसल पैक्स में धान बेचने के लिए किसानों को काफी चक्कर लगाना पड़ता है और समय के साथ-साथ परेशानी भी उठानी पड़ती है। धान बेचने के लिए अपना पैसा खर्च कर ऑनलाइन अप्लाई से लेकर पैकिंग, मजदूरी, लोडिंग, अनलोडिंग सहित वाहन भाड़ा देकर पैक्स तक धान पहुंचाना उसके बाद भुगतान के लिए लंबे समय तक इंतजार करना किसानों के लिए बड़ी समस्या हो रही है। दूसरी ओर बाजार एवं पैक्स के समर्थन मूल्य में कुछ खास अंतर नहीं होने और तुरंत भुगतान के चलते व्यापारी के पास अपना उपज बेच दे रहे हैं। इन दिनों प्रखंड के चतरा, मारुकिया, कसमा,सुक्की ,कन्हौली, सहित आस-पास क्षेत्र के गांव में व्यापारियों का आना जाना खूब लगा है। व्यापारी वाहन एवं मजदूर लेकर आते हैं और किसानों को नगद भुगतान देकर धान खरीदकर झारखंड, बंगाल, आसाम, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश सहित अन्य जगहों पर बेचने ले जाते हैं। खास कर आर्थिक रूप से कमजोर एवं छोटे छोटे किसान व्यापारी के हाथों धान बेचने को मजबूर हैं। जबकि जिन किसान या बटाईदार किसान के पास जमीन का कागजात अपटूडेट नहीं रहता है, वैसे किसान भी व्यापारी को बेचने को विवश हैं।मालूम होकी गांव से धान खरीदकर बेचने को ट्रक पर लोड कर अन्य प्रदेश में धान ले जाते व्यापारी।बाजार और सरकारी दर में जायदा अंतर नही रहने पर किसान व्यापारियों के हाथों धान बेचने को मजबूर है।जानकारी हो कीसरकार के 2183 रुपए समर्थन मूल्य से खर्च को घटाने पर किसान के हाथ लगभग 1970 रूपए प्रति क्विंटल बचता है। वहीं किसान के घर से व्यापारी 1900 से 2000 रुपया प्रति क्विंटल के हिसाब से धान उठा रहे वो भी नगद पैसे देकर। जहां किसान को अतिरिक्त कोई खर्च और परेशानी नहीं होती, इसलिए भागदौड़ एवं परेशानी से बचने के लिए भी किसान व्यापारियों का शिकार बनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर बिहार का धान कालाबाजारी होकर दूसरे प्रदेश में जाने पर कोई रोक-टोक नहीं होने से व्यापारियों का धंधा फल-फूल रहा है। साथ ही सरकार द्वारा समर्थन मूल्य देने के बावजूद किसानों को व्यापारियों के हाथों ठगी का शिकार होना भी कहीं न कहीं प्रशासन द्वारा इसपर रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाने की उदासीनता को दिखाता है।वहीं ,प्रभारी बीसीओ राकेश कुमार बताते है की क्विंटल पर 5 किलो धान की कटौती करने का कोई प्रावधान नहीं है। किसी किसान से अगर नमी के नाम पर 5 किलो प्रति क्विंटल धान की कटौती की गयी है, तो वह सूचना दें, उन्हें पूर्ण भुगतान कराया जाएगा। पैक्स में सभी किसानों का धान लिया जा रहा और भुगतान में देरी भी नहीं की जा रही है। किसानों को धान पैक्स में देने में कोई परेशानी न हो इसके लिए लगातार क्षेत्र में किसानों से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। किसान को पैक्स में धान बेचने में कोई परेशानी आ रही है तो उसे तुरंत दूर किया जाएगा।