कालिदास मिथिला के थे,गोष्ठी में विद्वानों ने दिये कई प्रमाणिक तथ्य।
गोष्ठी का उद्घाटन करते विद्वान
बेनीपट्टी
पर्यटन विभाग बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन मधुबनी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय उच्चैठ-कालिदास महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को प्रथम स्त्र में कालिदास मिथिला के थे विष्ययक गोष्ठी का आयोजन हुआ।कार्यक्रम का विधिवत रूप से सभी आगन्तुक अतिथियों व अनुमंडल पदाधिकारी मनीषा के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।दूसरे ओर अंतिम दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता शशिनाथ झा कुलपति संस्कृत महा विद्यालय कामेश्वर नगर दरभंगा और मंच संचालन दीप नारायण विद्यार्थी ने किया।कार्यक्रम के शुरुआत में बेनीपट्टी के दो नन्हें कलाकारों श्रेया और पीयूष ने सभी आगन्तुकों के सम्मान में स्वागत गान प्रस्तुत किये।इसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी मनीषा ने मंचासीन सभी विद्वान अतिथियों को मिथिला परम्परा के अनुसार पाग दुपट्टा से सम्मानित किया।वक्ताओं में बेनीपट्टी के स्थानीय विधायक विनोद नारायण झा ने अपने सम्बोधन में कहा कि कालिदास का जन्म मिथिला में ही हुआ और यहाँ से ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद वह बाहर गये, उन्होंने यह भी कहा कि हमलोग भी यह मानते हैं कि महाकवि कालिदास बहुत दिनों तक उज्जैन में रहे लेकिन उनका जन्म मिथिला में हुआ था कालिदास की रचनाओं में से मेघदूत से यह संकेत भी मिलता है जिसमें मेघा से अपने घर पर सन्देश भेजने का जिक्र करते हुए यह चित्रण किया गया है कि सन्देश भारत के उत्तर दिशा में पर्वत के निकट जाने की बात कही गई है।इसके अलावा अन्य वक्ताओ ने कालिदास के मिथिला में जन्म होने का प्रमाणिक तथ्य भी दिया है।कार्यशाला गोष्ठी में बेनीपट्टी के विधायक विनोद नारायण झा सीएम कॉलेज के शिक्षक संजीत झा सरस साहित्यकार डॉ महेंद्र नारायण राव साहित्यकार तारा आनंद वियोगी आचार्य बैद्यनाथ मिस साहित्यकार डॉक्टर रंगनाथ दिवाकर एवं दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पंडित शशि नाथ झा ने कालिदास मिथिला के थे इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। बक्ताओं ने कालिदास के जीवनी से संबंधित कई महत्वपूर्ण पुस्तकों को उल्लेख करते हुए बताया कि कालिदास मिथिला के थे और उनके द्वारा रचित ग्रंथों से यह साबित होता है कि कालिदास का ज्ञान इसी उच्चैठ भगवती के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ और पूरे विश्व में अपने ज्ञान के आधार पर अपना पहचान बनाए। भक्तों ने यह भी कहा कि उज्जैन के विद्वानों के द्वारा कालिदास को उज्जैन के रहने वाला बताया जाता है परंतु शास्त्र के अनुसार और तत्कालीन ग्रंथों के अनुसार कालिदास मिथिला के थे।