December 24, 2024

आस्था और विश्वास का अनमोल केंद्र मां अकौर भगवती

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भगवती मंदिर
मधुबनी
मोहन झा 
जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर पश्चिम मे अनादी काल से अकौर गांव मे विराजमान अकौर भगवती।जहाँ होती है तंत्र विधि से होती है पूजा। दूर दूर से आते है माता के दर्शन हेतु लोग।  इस पौराणिक स्तुति स्वरूप भगवती को यदि ध्यान (आख्यान) से देखा जाए तो पता चलता है कि इसमें ॐ की प्रतिमा साक्षात है। ऐसी मान्यता है कि मां ॐकारेश्चरी का मूलाधार पूजन होने के कारण ईस्वी सन् की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व से ही यह स्थान देश दुनिया के लिए प्रसिद्ध है। वैसे इस विषय में कुछ दार्शनिक विभाग के अनुसंधानकर्ताओं के शोध से यह पता चलता है कि इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह अकौर वस्ति इस प्रतिष्ठित देवी के दर्शन के कारण फिर से ॐ कार और भगवान शिव के शती के भूमि पर स्थित है। इतिहास कार जो भी कहती है।,ग्रामीण पंडित पंकज झा शास्त्री  का कहना  यह स्थान जनक राजा की मूल राजधानी का हिस्सा था और देवी ॐ कारेश्चरी  इनकी कुल देवी थी ।इस शक्ति पीठ का वर्णन कोलो के कुलानी तंत्र, तंत्र महार्णव, तंत्र सार, तंत्र माला, डामर तंत्र आदि के ग्रंथों के साथ-साथ धर्म शास्त्र और अन्य धार्मिक प्रवचनों में मिलता है।ऐश्वर्य देवी, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक हैं इसलिए उनके आनंद की अनुभूति एक समान अनुपात से अधिक होती है। भुवन भर की आनंदभूति का आनंद जिसमें भरा हो उसे भुवनेश्वरी कहते हैं। अकौर गांव मे विराजमान भगवती वर्तमान मे लोकाचार मे अकौर भगवती के नाम से जानी जाती है। पंडित पंकज झा शास्त्री कहते है कि अकौर  भगवती यह लोगों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है। यहां निष्ठा से आने वाले भक्तों की सभी मनोवांछित कामनाएं पूरी होती हैं।बांझन महिलाएं यदि यहां पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ आती हैं तो उन्हें माता आँचल भर देती है। दूर से तंत्र सिद्धि प्राप्त करने के लिए भी भक्त यहाँ आते रहते है।दुर्गा पूजा में हजारों की संख्या में दूर-दूर से भक्त आते हैं। यहां बलि प्रदान  की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है।इस दरबार से वो खाली नहीं जाता।
माँ तो माँ है माँ की महिमा भी निराली है।

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