अजब-गजब स्थिति है ग्रामीण कार्य विभाग बेनीपट्टी की, अधिकारी कार्यालय आते नहीं, कार्य करोड़ों की,
कार्यालय बेनीपट्टी ग्रामीण कार्य विभाग
बेनीपट्टी
बिहार में भ्रष्टाचार की चर्चा आम लोगों के जुबान पर होती रहती है। विभागीय कार्यालय में विकास कार्यों मैं गुणवत्ता पर चर्चा नहीं होती ,लूट खसोट के कारण। राज्य सरकार हो या जिला पदाधिकारी विभाग में मची लूट की शिकायत पर ध्यान नहीं देते और अधिकारियों को खुली छूट देकर सरकारी धन को खुलेआम लूटने का छूट दे देते हैं। जी हां बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल मुख्यालय मैं एक कार्यालय कार्यपालक अभियंता कार्यालय ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल बेनीपट्टी है। इस कार्यालय में कार्यपालक अभियंता कभी भी कार्यालय नहीं आते हैं। सहायक कार्यपालक अभियंता आते तो जरूर हैं परंतु अपनी परेशानी बड़े अधिकारियों के कार्यालय नहीं आने का रोना रोते हैं। उक्त कार्यालय में कर्मचारियों, कनिया अभियंता की लंबी फौज है । लेकिन कार्यालय अगर पहुंचते हैं तो पता चलेगा जब कार्यपालक अभियंता ही नहीं आते हैं तो कनीय अभियंता कार्यालय क्या करने आएंगे। लेकिन उक्त कार्यालय से प्रत्येक वर्ष करोड़ों करोड़ के सड़क, पुल ,पुलिया का निर्माण कराया जाता है। कार्य कराए गए सड़क पुल पुलिया में गुणवत्ता ख्याल नहीं रखा जाता और कभी जांच करने अधिकारी आते हैं तो होटल मैं ठहर कर ही खानापूरी कर वापस चले जाते। जबकि बेनीपट्टी, बिस्फी, हरलाखी, मधवापुर प्रखंड क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में विभाग द्वारा कार्य कराए जाते हैं। ग्रामीण कार्य विभाग बेनीपट्टी के द्वारा कराए गए कार्यों को अगर जांच कराई जाए तो लूट खसोट चरम पर पहुंचा हुआ मिलेगा। जिला अधिकारी अरविंद कुमार बर्मा के जनता दरबार में उक्त कार्यालय के संबंध में कई बार शिकायत जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों के द्वारा किया गया है फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। इस संबंध में प्रभारी कार्यपालक अभियंता केशव साहनी से कार्यालय नहीं आने की बात पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि मैं झंझारपुर में पदस्थापित हूं और बेनीपट्टी में प्रभारी हूं। जिसके कारण काम के बढ़ते लोड के कारण आना-जाना कम होता है। जबकि कार्यपालक अभियंता कार्यालय ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल बेनीपट्टी की स्थित अजीबोगरीब है इसे देखने वाला ना तो सरकार है ना ही विभागीय अधिकारी और ना ही जिला अधिकारी जिसके कारण लूट की छूट मनमानी है ।सरकार का धन संवेदक अधिकारी के जेब में चला जाता है शहर जमीन पर लूट खसोट ही दिखाई देता है।