जिस पुरुष शिक्षित होता है तो घर में एक ही व्यक्ति शिक्षित होता है, लेकिन जिस घर में महिला शिक्षित होती है वह पूरा परिवार शिक्षित होता है:- अजीत पासवान
कार्यक्रमों में उपस्थित लोग
बेनीपट्टी
बेनीपट्टी प्रखंड के ढऺगा गांव में एक दिवसीय “राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ” द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रखंड ईकाई”बेनीपट्टी के आगनवाड़ी केंद्र संख्या 259, स्व0 फिरदेव पासवान सामुदायिक भवन,पश्चिमी वाड़ी टोल, मैं किया गया। जिसका उद्घाटन डॉक्टर राम उदगार राम ने किया।”बहुजन नायिकाओं के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित उपस्थित लोगों ने किया। कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन में अजित पासवान”पूर्व मुखिया सह जिलाध्यक्ष बहुजन मुक्ति पार्टी,मधुबनी ने कहा कि “जिस घर में पुरुष शिक्षित होता है उस घर में एक ही व्यक्ति शिक्षित होता है, लेकिन जिस घर में महिला शिक्षित होती है वह पूरा परिवार शिक्षित होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय स्त्री जीजा माता के भांति शौर्यवान और विचारवान क्रांतिकारी बन जाय तो अवश्य ही हर परिवार में शिवाजी जन्म लेंगे।उद्घटककर्ता ड्रा0 राम उदगार ने कहा जिस में बल,बुद्धि और चतुराई है, वही स्व कृत्यों पर लोकप्रिय राजा बन सकता है।जिलाध्यक्ष पुनीता मंडल ने कहा कि “यदि ब्राह्मणवाद से धार्मिक,आर्थिक,सामाजिक और राजनैतिक आजादी चाहते हो तो सर्वप्रथम अपने घरों की महिलाओं को आजाद करना होगा।प्रशिक्षिका आयुष्मती रेखा पंडित ने कही”प्रतिकार की प्रतिमूर्ति फूलन का मूलनिवासी आंदोलन में अपना अलग सम्मान है।ज्ञात इतिहास में ऐसी एकमात्र नायिका है जिन्होंने “बुलेट का प्रयोग किया और बैलेट का भी”भारत के अत्याचारी गांवों की जिस क्रूर सामाजिक व्यवस्था ने उसे “फुलवा “से “फूलन”बनने के लिए मजबूर किया।जिस व्यवस्था ने उसे इतना अपमानित और प्रताड़ित किया,फूलन ने उसी व्यवस्था को हिलाकर रख देने वाले कारनामें किए।लंबे समय तक चंबल घाटी में उसका अपना अघोषित साम्राज्य रहा।उसके नाम की इतनी दहशत रही की चंबल घाटी में पचास पचास कोस दूर के तमाम गांवों में माताएं अपने दूध मुंहे बच्चो को फूलन के नाम का डरावा देकर सुलाती थी।जिला सचिव आयुष्मति कविता पासवान ने कही की”महापुरुषों को महान बनाने में प्रायः उनकी धर्मपत्नियों का योगदान रहता है।वह केवल उनकी जीवन संगिनी या सहचारिणी नही होती,अपितु मनोबल और उत्साह में वृद्धि करने वाली शक्ति पुण्ज भी होती है।इतना ही नहीं, वे विपरीत एवं कठिन से कठिन समय में बलदायिनी एवं प्रेरणा देने वाली भी सिद्ध होती है।धैर्य और धीरज जब उनका साथ छोड़ रहा होता है,तो वही नैतिक और मानसिक बल देने वाली अर्धांगिनी बनकर जीवन पथ अटल एवं अडिग रहने का संदेश देने का काम करती है।बाबा साहेब ड्रॉ आंबेडकर का जीवन उज्जवल करने वाली,उनके कष्टदाई दिनों में सहारा देने वाली,उन्हें पग पग पर प्रोत्साहित करने वाली व उनकी दिनचर्या के सुख दुख में तन्मयता से सदा सहयोगी रहने वाली उनकी धैर्य पत्नी रमाबाई थी।
पूनम सहनी पूर्व जिला परिषद ने कही कोली योद्धा,लक्ष्मी बाई की हम शक्ल,नियमित सेना में महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थी।हमशक्ल होने के कारण शत्रु को गुमराह करने के लिए वे रानी के वेश में युद्ध करती थी।अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गई और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया।उन्होंने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में झांसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लड़ते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलों को विफल किया था।यदि लक्ष्मी बाई के सेनानायकों में से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो झांसी का किला ब्रिटिश सेना के लिए प्रायः अभेद्य था।ऐसी थी वफादारी के प्रतिमूर्ति झलकारी बाई।आयुष्मति पिंकी कुमारी “जिला अध्यक्ष बामसेफ “महिला शैल”रमाबाई आंबेडकर ने मरते दम तक अपना सारा जीवन हमारे मुक्तिदाता बाबा साहेब ड्रॉ आंबेडकर के जीवन पथ में पड़े कंटक और कंकड़ बुआरने में ही समर्पित कर दिया था।बाबा साहेब को अपने लिए ही नही देश के लिए भी परम गौरव की बात मानती थी। हां!शक्ति और बल प्रदान करने वाली महान नारी अवश्य थी ऐसी महान नारी के प्रति आज हम सम्मान व्यक्त करते हुए उन्हें रमाई के नाम से पुकारते है।ऐसी महान नारी जो किसी वीरांगना से कम महत्वपूर्ण नहीं थी।
रेणु साफी पूर्व मुखिया नगवास ने कही मदर टेरेसा दलितों एवं पीड़ितो की सेवा में किसी प्रकार की पक्षपाती नहीं थी।उन्होंने सद्भाव बढ़ाने के संसा…