जहां संस्कार वहां संस्कृत होगी- रविशंकर प्रसाद
– रविशंकर प्रसाद
– जहां विरासत होगी वहां संस्कृत होगी
– शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है – रविशंकर प्रसाद
– हमारे दैनिक जीवन में संस्कृत भाषा की प्राचूर्यता मिलती है
-त्रिदिवसीय परिवार शिक्षा वर्ग के दूसरे दिन कलश स्थापना, दुर्गा पूजन, लक्ष्मी पूजन तथा पंचांग दर्शन का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त कियात्रिदिवसीय परिवार शिक्षा वर्ग के प्रेरणासत्र को संबोधित करते पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
कर्मकांड प्रशिक्षण वर्ग में शामिल प्रशिक्षुगण।
पटना
जहां संस्कार है वहीं संस्कृत होगी, जहां संस्कृति वहां संस्कृत , जहां सर्जना होगी वहां संस्कृत होगी। अर्थात संस्कृत के बिना कुछ भी संभव नहीं है। शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए हमें संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए। हमारे दैनिक जीवन में संस्कृत भाषा की प्राचूर्यता मिलती है। ये बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री सह पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद ने परिवार शिक्षा प्रशिक्षण वर्ग के प्रेरणासत्र को संबोधित करते हुए कहा।
उन्होंने भारतीय संविधान एवं अंबेडकर जी का उल्लेख करते हुए संस्कृत के संवर्धन एवं संस्कृति की चर्चा की। संविधान के पुस्तकों को दर्शाते हुए श्रीराम, महावीर, नटराज, हनुमान आदि देवताओं का चित्र दिखाएं।
उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सोच की प्रशंसा किया।
भारतीय संस्कृत के विपरीत सोच रखने वाले का अस्तित्व समाप्त हो रहा है । अतः अपने संस्कृत एवं संस्कृति के अनुरूप स्वच्छ एवं आदर्श रखकर ही हम विकास कर सकते हैं।कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्कृत भारती के प्रांतप्रचार प्रमुख डॉ. रामसेवक झा ने बताया कि परिवार शिक्षा वर्ग प्रशिक्षण के दूसरे दिन 10 समूहों में सभी प्रशिक्षुओं को बांटकर कलश स्थापन विधि, दुर्गा पूजन विधि,लक्ष्मी पूजन विधि आदि का प्रायोगिक अभ्यास करवाया गया। वहीं प्रशिक्षण के तीसरे सत्र में पंचांग दर्शन तथा चौथे सत्र में दुर्गा सप्तशती शुद्धोच्चारण का प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम की समाप्ति 20 मार्च को ठाकुर स्मृति भवन सभागृह में होगी।कार्यक्रम में प्रांत मंत्री डॉ रमेश कुमार झा , सह प्रांत मंत्री डॉ.रामेश्वरधारी सिंह, संगठन मंत्री श्रवण कुमार,बुधन ओझा, प्रशिक्षक डॉ त्रिलोक झा, डॉ.राम कुमार झा, डॉ आनंददत्त झा, डॉ.अनीश कुमार शुक्ल, डॉ.ललन कुमार झा, डॉ.कृष्ण कुमार मिश्र, डॉ.कुमुदानंद झा, देव निरंजन,अजय मिश्र,न्यासी डॉ.चंद्रशेखर आजाद आदि उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ.रामसेवक झा एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के व्यवस्था प्रमुख मृत्युंजय झा ने किया।