मार्च महीना की शुरुआत में ही सुख रही त्रिवेणी संगम नदी घाट
संगम नदी की पेट में बालू की रेत पर उग आया है हरी घास
खजौली
खजौली गर्मी अपना दस्तक देना सुरू कर दिया नदी नाला तालाब में जल स्तर तेजी से नीचे और खिसकना सुरू हो चुका है। स्थिती यह है की प्रखंड क्षेत्र के बीचों बीच निकलने बाली कमला नदी मार्च के शुरुआती दिनों में सूखने की कगार पर है।नदी को सूखते हुए देख कर लोगों को चिंता सताने लगे है।गर्मी के दस्तक के साथ सुख रहे नदी नाला तालाब की घटती हुई जल स्तर से आप सहज रूप से अनुमान लगा सकते है की कमला नदी के सुक्की साइफन पुल स्थित त्रिवेणी घाट के पास जहां मार्च अप्रैल के मौसम में करीब तीन से चार फीट तक नदी में जल रहता था । उस स्थान पर मार्च के शुरुआती समय में ही जगह जगह बालू की रेत पर हरी हरी घास निकलने लगे है।नदी में कहीं कहीं महज नाले के आकर लिए गाद के स्थान पर कुछ पानी नजर आ रहे हैं।वही स्थानीय लोगों का कहना माने तो नदी के किनारे बस ग्रामीणों ने बताया की हर साल इस नदी में व्यापक रूप से बाढ़ आती हैं। बाढ़ के समय पानी के साथ बढ़कर आए गाद को नियमित रूप से साफ सफाई नही होने के कारण गाद नदी के गोद में टीला का स्वरूप ले रहा है। नदी के गोद में गाद का विकराल रूप लेना ही नदी में गर्मी के दस्तक के साथ सुखना मुख्य कारण है।क्योंकि नदी में गाद भर जाने के कारण पर्याप्त मात्रा में जल संग्रह नही हो पाता है।वही स्थानीय लोगों का कहना माने तो उन लोगों ने बताया की कमला नदी के सुक्की सायफन पुल के नीचे त्रिवेणी घाट लोक आस्था से जुड़ा हुआ है। यहां सालों भर लोग अन्ना करने के साथ आस पास के लोग खेतों बारी के साथ माल मवेसी को पानी पीने के लिए उपयोग करते थे।लेकिन इस वर्ष स्थिती ऐसी बनी हुई है।की नदी में नहाना तो दूर की बात हाथ पैर धोने तक के लिए पानी नहीं बच पाएगा ।वही वयोवृद्ध डा. दुर्गेश्वर झा बताते है। गर्मी के शुरुआती दिनों में ही नदी में पानी सुखना एक बहुत बड़ी संकट का संकेत है। इस सुखा संकट से मजदूर किसान पशुपालक सहित अन्य वर्गों के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकती है। नदी से जल स्तर में कमी होना नदी के गोद में टीला बनाए गाद को नियमित रूप से साफ सफाई नही होने के कारण ऐसी स्थिती बनने लगा है।