December 23, 2024

सरस्वती प्रतिमा को अंतिम रुप देने में जुटे मुर्तिकार 51सौ रुपए तक बनी हैं, मुर्तियां

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मूर्ति को अंतिम रूप देते
खजौली
खजौली स्वतंत्रता दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो चुकी है। स्वतंत्रता दिवस को लेकर तैयारी की जा रही है। वही सरस्वती पूजा की प्रतिमा विभिन्न इलाके में जगह जगह तैयारी कर रहें हैं। इस बार तिरंगें को सलामी देने के साथ साथ ज्ञान की देवी की अराधना इस बार स्वतंत्रता दिवस और सरस्वती पूजा एक दिन हैं। जिसको लेकर सभी स्कूल और गांव मुहल्ले में इसकी तैयारी की जा रही है।इन दिन सर्वप्रथम देश के आन वान और शान राष्ट ध्वज तिरंगा को सलामी दी जाएगी इसके बाद ज्ञान बुद्धि और विद्या कि देवी मां सरस्वती की आराधना की जाएगी विद्या की देवी माता सरस्वती के आराधना को लेकर मुर्ति बनने का कार्य अंतिम चरण में हैं। खजौली बाजार स्थित मुर्तिकार ने बताया की 11सौ रुपए से लेकर 51 सो रुपए तक की मूर्ति बनाई जा रही है। मूर्तिकार ने बताया कि पहले से ही महंगाई की मार को झेल रहे मूर्तिकारों के लिए इस वर्ष श्रृंगार सामग्री मिट्टी तक लेकर चार्ज महंगा होने से मूर्तियां महंगी हो गई है ।मूर्तिकार ने बताया कि बढ़ रही महंगाई के चलते इसमें फायदा दिन व दिन घटता जा रहा है। मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें को आसमान छूते कीमत ने कारीगरों को परेशान कर रखा है। साथ ही वे कामकाज की कमी से भी जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि लकड़ी पुआल पेंट और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़ों की कीमत बहुत बढ़ गई है।

वहीं महंगाई और मेहनत की कीमत से मूर्ति के दाम नहीं मिलते हैं। मूर्तिकार ने बताया कि कला की पूजा होती है। कलाकार कि नहीं मगर इस समय कला की नहीं पैसा की पूजा हो रही है। इसी हिसाब से लोग मूर्तियां खरीदने आते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि ग्राहकों की मांग को देखते हुए हर आकार की मूर्ति बनाई गई है। मूर्तिकार का कहना था इस मंहगाई के दौर में जहां हमलोग 100 मुर्तियां बनाते थे। इस बार 75 से कम ही बनाए हैं। पिछले वर्ष का कर्ज अभी तक नहीं चुका पाए हैं। इस बार पाबंदी लगाई गई तो हमलोगों को काम छोड़ना पड़ेगा और पलायन करने पर मजबुर होना पड़ेगा हमलोग कर्ज लेकर मुर्ति बनाते हैं। नहीं बिकने पर तोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता है। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार भी मदद नहीं करती है इसिलिए नई पीढ़ी के लोग अब इस धंधे में नहीं आना चाहते हैं।

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