वर्ष की तारीख बदलती रही, चुनाव में नेताओं वादा करते रहे परंतु नहीं बदली महादलित टोले की सड़क, आक्रोशित है दलित परिवार
सड़क के लिए आक्रोशित दलित लोग
बेनीपट्टी
बेनीपट्टी प्रखण्ड अंतर्गत मानपौर पंचायत के महादलित टोल के लोग आजादी के दशकों बाद भी तंग गलियों से होकर गुजरने पर मजबूर हैं।ग्रामीणों ने बताया कि मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए मनपौर पंचायत के वार्ड पाँच के महादलित टोल की करीब 2000 से अधिक की आबादी वाले लोग पक्की सड़क तो दूर बल्कि कच्चे सड़क के लिए भी आज तक तरस रहे हैं।ऐसा नहीं है कि इतनी आबादी वाले लोगों ने सड़क के लिए प्रयास नहीं किया। लोगों ने अथक परिश्रम और सकारात्मक प्रयास लगातार किया है, जिसके अंतर्गत हर एक स्थानीय पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों को भी इसकी विधिवत सूचना लोगों ने दिया है। लेकिन पदाधिकारी व स्थानीय जनप्रतिनिधि इस पर कुछ भी बोलने से कतराते हैं। क्योंकि जिस महादलित बस्ती में जाने के लिए लोग रास्ता चाह रहे हैं उसके ठीक मुख्य सड़क के सामने महादलित बस्ती में जाने वाली मुख्य द्वार के निकट कुछ लोग अपना घर बनाकर रास्ते के मुख्य द्वार पर अपना कब्जा जमाये हुए हैं और यह उनकी निजी जमीन बताई जा रही है।
हालाँकि इस सम्बंध में स्थानीय प्रशासन व पदाधिकारी को न्यायालय से आदेश भी प्राप्त हो चुका है कि अगर महादलित के इस बस्ती के लिए रास्ता किसी के निजी जमीन में पड़ता है तो सरकारी मूल्य के साथ उक्त भूमि मालिक से उचित मुआवजा देकर भूमि अधिग्रहण करते हुए मनपौर पंचायत के इस महादलित बस्ती के लिए रास्ता मुहैया कराया जाय।बावजूद इसके अबतक स्थानीय प्रशासन व पदाधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों के भी जबान पर चुप्पी लगी है और कोई भी कुछ बोलने या रास्ते के लिए पहल किये जाने से कतराते नजर आ रहे हैं। जिसके चलते मनपौर स्थिति महादलित टोल के लोग दिन प्रतिदिन मुसीबतों का सामना करने के लिए मजबूर हैं। हालात कुछ ऐसी ही चुकी है कि इस बस्ती में लोग शादी विवाह से भी कतराते हैं इसके अलावा बरसात के दिनों में जलजमाव जैसी मुसीबतों का भी इन लोगों को सामना करना पड़ता है और इस कारण छोटे छोटे बच्चों को बरसात के दिनों में स्कूल के लिए भी जाने से अभिभावकों को मजबूरन रोकना पड़ता है क्योंकि इस तंग रास्ते के ठीक बगल में एक बड़ा सा तालाब भी है जो काफी जानलेवा है क्योंकि कई लोग रास्ते का दिशा भटक जाने के कारण अपनी जान भी इस तालाब में डूबकर गवां बैठे हैं।
स्थानीय ग्रामीण रामचन्द्र राम,सत्यनारायण राम,गोरख राम,राजिन्दर राम,सबिता देवी,गुड़िया देवी,विणा देवी,रागनी देवी,राजकुमार राम,श्याम कुमार राम,संजय राम,किशोरी राम,सरोज राम,सतरोधन राम,जीतू राम,जगदीश राम,जीवछ राम सहित अन्य लोगों ने यह भी बताया कि तंग गली रहने के कारण शादियों में नई नवेली दुल्हन को करीब 400 गज तक मजबूरन पैदल ही चल कर आवागमन करना पड़ता है और तो और अगर किसी की मृत्यु इस टोले पड़ हो जाती है तो बस्ती से काफी दूर शव को काफी मुस्कक्तो का सामना करने के बाद बाहर लाकर शवदाहगृह तक ले जाया जाता है जो आजाद भारत के दशकों बाद भी इस बस्ती के लोगों को इसप्रकार का मुसीबत झेलना पड़ रहा है और यह काफी निंदनीय है।इस बस्ती के लोगों ने स्थानीय प्रशासन व पदाधिकारियों सहित सरकार से इस महादलित बस्ती के लिए रास्ते के बंदोबस्ती हेतु मदद की गुहार लगाई है ताकि उक्त बस्ती के लिए रास्ता मिल सके और मंपौर पंचायत के इस महादलित बस्ती के लोगों का सुसज्जित ढंग से जीवन यापन हो सके।ग्रामीणों ने यह भी बताया कि आगे भी यही रवैया रहा और इस महादलित टोल के लोगों को रास्ता नहीं दिलाया गया और पदाधिकारीयों द्वारा इस पर कारवाई नहीं हुई तो मजबूरन लोगों बाध्य होकर सड़क पर उतरना पड़ेगा क्योंकि रास्ता नहीं होने के कारण दिन प्रतिदिन लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है जो किसी दिन आंदोलन का रूप ले सकता है।