बदलैत गाम’ एवं ‘रूसल प्रकृति’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण, उपस्थित रहे विद्वान और साहित्यकार
कार्यक्रम को उद्घाटन करते विद्वान गण
मधुबनी
मधुबनी शहर के मध्य स्थित ‘शुभ अंगना’ प्रोफेसर्स कालोनी, सुन्दर नगर के परिसर में भाषाविद्, राष्ट्रीय चिंतक, बिहार काॅलेज सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो० जे. पी. सिंह, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष, साहित्यकार प्रो० नवोनाथ झा की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि देवभाषा संस्कृत के प्रकांड विद्वान, पूर्व कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, प्रो० देब नारायण झा तथा विशिष्ट अतिथि, साहित्यश्री प्रीतम निषाद, साहित्यकार दिलीप कुमार झा एवं मधुबनी जिला के प्रख्यात साहित्यकार, कविगण द्वारा डॉ० शुभ कुमार वर्णवाल द्वारा दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया गया। ‘बदलैत गाम’ तथा ‘रूसल प्रकृति’ मैथिली काव्य संग्रह दोनों पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों का स्वागत डॉ० वर्णवाल द्वारा मिथिला की परंपरानुसार पाग और शाल से किया गया। आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ० वर्णवाल ने कहा कि मेरे लिए यह एक गौरव का क्षण है जहाँ इतने बड़े विद्वानों द्वारा मेरे पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रो० जे. पी. सिंह ने कहा कि काव्य में कवि की विभिन्न स्तर की अनुभव की व्याख्या काव्य रचना को महान बना देता है। कोई भी भाषा तभी समृद्ध हो सकती है जब भाव की बारीकी की अधिक से अधिक अभिव्यक्ति हो। ‘बदलैत गाम’ काव्य संग्रह में गाँव की बदलती परिदृश्य की ओर ध्यान आकर्षित करती है। दूसरी पुस्तक ‘रूसल प्रकृति’ में कवि पर्यावरण अवनयन एवं समस्याक निदान ध्वन्यात्मक और गीतात्मक अभिव्यक्ति कवि की कविता की विशेषता है। विशिष्ट अतिथि प्रो० टुनटुन झा ‘अचल’ ने कहा कि मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि बदलैत गाम काव्य संग्रह में कवि धार्मिक, ऐतिहासिक, सामाजिक सह सांस्कृतिक स्वरूप का वर्णन प्रशंसनीय है। ‘रूसल प्रकृति’ में कवि भूगोल विषय के प्राध्यापक हैं तथा प्रकृति की वर्तमान दशा-दिशा पर अपनी भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत किया है।
साहित्यश्री प्रीतम निषाद ने काव्य में कहा कि ‘रूसल प्रकृति’, ‘बदलैत गाम’दिया है पुस्तक नव पैगाम।सुरभित काव्यांजलि मनोरममातु पिता संग गुरु प्रणाम।
साहित्यकार दिलीप कुमार झा ने कहा कि प्रो० वर्णवाल की दोनों कविता संग्रह में मिथिला की बदतली हुई भौतिक और सामाजिक पर्यावरण का चित्रण किया गया है। पर्यावरण का संरक्षण आज के संसार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ‘बदलैत गाम’ पुस्तक में मिथिला से लोगों के पलायन ,बाढ़ और सुखाड़ की समस्या को कविता के माध्यम से रेखांकित किया है। वहीं ‘रूसल अछि प्रकति’ प्रकृति का हो रहा अनैतिक दोहन का संज्ञान लिया गया है। मुख्य अतिथि प्रो० देब नारायण झा ने कहा प्रो० वर्णवाल ने कविता के माध्यम से अपना व्यापक स्वरूप प्रकट किया है। कवि की कविता में काव्यात्मक गुण, अलंकार, रीति-वृत्ति तथा ध्वनि का समुचित सन्निवेश हुआ है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ० नवोनाथ झा ने कहा कि डॉ० वर्णवाल की दोनों काव्य संग्रह समाज के लिए वरदान है। लोकार्पण में जिले के मूर्धन्य विद्वान – साहित्यकारों की प्रशंसनीय उपस्थिति रही। संचालन डॉ० बिभा कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ० विनय विश्वबंधु द्वारा दी गई।