इंडोनेशिया अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो० वर्णवाल आमंत्रित
इंडोनेशिया अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो० वर्णवाल
मधुबनी
साहित्य हमारे जीवन को स्वाभाविक और स्वाधीन बनाता है। दूसरे शब्दों में साहित्य के बदौलत ही मन का संस्कार होता है। साहित्य का मुख्य उद्देश्य भी यही है। साहित्य किसी संस्कृति को ज्ञात कराने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिन्दी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है तथा जितना अधिक हम हिन्दी और प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग शिक्षा, ज्ञान विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि में करेंगे, उतनी ही तेज गति से भारत का विकास होगा। इसी उद्देश्य में सदा मगन रहने वाले साहित्यकार, वरिष्ठ कवि, पूर्व प्राचार्य, कालिदास विद्यापति साइंस काॅलेज, उच्चैठ, बेनीपट्टी, मधुबनी (बिहार) प्रो० शुभ कुमार वर्णवाल को ‘श्रीराम कथा का विश्व संदर्भ’ साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, उल्हासनगर, मुंबई (महाराष्ट्र) ने 25 दिसंबर, 22 से 31 दिसंबर, 22 तक अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक यात्रा के अंतर्गत इंडोनेशिया के बाली द्वीप में स्थित सुग्रीव विश्वविद्यालय में 29 दिसंबर, 22 को होने वाले अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘इंडोनेशिया में भारतीय संस्कृति और रामलीला’ विषय पर व्याख्यान हेतु रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित किया है।
प्रो० वर्णवाल के इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आमंत्रण से जिले के साहित्यकारों में हर्ष व्याप्त है। स्वचालित कविगोष्ठी के संयोजक भाषाविद्, राष्ट्रीय चिंतक, प्रो० जे. पी. सिंह, सह संयोजक उदय जायसवाल, ज्योति रमण झा ‘बाबा’, प्रो० नवोनाथ झा, प्रो० नरेन्द्र नारायण सिंह ‘निराला’, डॉ किरण कुमारी झा,रामेश्वर निशांत, भोलानंद झा, डॉ० विनय विश्वबंधु, डॉ० बिजय शंकर पासवान, दयानंद झा, रेवती रमण झा, पंकज सत्यम, झौली पासवान, दिलीप कुमार झा, प्रीतम निषाद, अरविन्द प्रसाद, गोपाल झा ‘अभिषेक’, सुभाष चंद्र झा ‘सिनेही, अजीत आजाद, सतीश साजन, आनंद मोहन झा, दयाशंकर मिथिलांचली, बंशीधर मिश्र, चन्द्रेश्वर खां, सुखदेव राउत, डाॅ० रानी झा, डॉ० बिभा कुमारी, डॉ० संजीव शमा, डाॅ० अनिल ठाकुर, गौरीशंकर साह आदि ने हर्ष व्यक्त किया है।