मलखाचक की भूमि एक तीर्थ स्थल के समान है:-मोहन भागवत
स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में विभिन्न जिलों से आये लगभग 300 से अधिक स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को किया गया सम्मानित।
दिघवारा नगर।
प्रखण्ड क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव मलखाचक में रविवार को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह आयोजित की गई।जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ,केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने भाग लिया।इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार सह मलखाचक निवासी रविन्द्र कुमार द्वारा लिखित पुस्तक “स्वाधीनता आंदोलन की बिखड़ी कारियाँ” नामक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।वही विभिन्न जिलों से आये लगभग 300 से अधिक स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को अंगवस्त्र तथा मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मलखाचक की भूमि एक तीर्थ के समान है और इस स्थान का एक विशेष महत्त्व है।लिहाजा हर किसी को इस भूमि की वंदना करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि शहीदों की भूमि वंदनीय होती है और यह उनका सौभाग्य है कि उनको मलखाचक आने का मौका मिला है।
उन्होने समाज के सभी लोगों से शहीद व स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मान देने का आग्रह किया।उन्होंने कहा कि देश के लिए सर्वस्य बलिदान देने की भूमि मलखाचक है।यह भले ही आर्थिक तौर पर पिछड़ा है मगर इसका इतिहास गौरवशाली है।श्री भागवत ने कहा कि भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है और जल्द ही भारत महाशक्ति बनेगा।उन्होंने कहा कि रूस व अमेरिका जैसे देशों ने महाशक्ति बनकर डंडे का प्रयोग किया,रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है मगर भारत अपनी मेधा व क्षमता की बदौलत विश्वगुरु बनने की राह पर है।उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आग्रह करते हुए कहा कि वे लोग अपने अपने क्षेत्र के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज करें और उनके व उनके परिजनों को सम्मानित कर उनके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करे।
न्होने कहा कि अपने पूर्वजों के प्रति गौरव की भावना हमें विकसित करती है।उन्होंने कहा कि जब हम पर विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था तो हम सुरक्षित थे और जब हम अपनों में बंटे तो अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाया और हमें गुलाम बनाना शुरू किया।अपनों में बंटने के बाद ही ब्रिटिश हमलोगों को गुलाम बनाने में सफल रहे।
मुगलों के आक्रमण के बाद सबों को अलग अलग लड़ना पड़ा।अंग्रेजों ने अधूरी शिक्षा व्यवस्था को लागू कर हमें पंगु बनाना शुरू कर दिया था मगर अब अपने देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है।उन्होंने कहा कि हमारे समाज,सभ्यता व संस्कृति की विश्व में अलग पहचान है और इसलिए देश का वैभव अमर है।श्री भागवत ने कहा कि भारत को कोई दुरात्मा नहीं जीतेगी और विश्व कल्याण के लिए भारत बड़ा बनेगा।आज देश का विचार,प्रांत,भाषा,जाति अलग अलग है मगर सबों का एक ही लक्ष्य है देश की तरक्की व समृद्धि की प्राप्ति।देश की प्रस्तावना भी सामाजिक न्याय को मजबूती प्रदान करती है।उन्होंने कहा कि हर नागरिक को अनुशासन का पालन करते हुए कर्त्तव्यपालन में प्रामाणिक होना चाहिए।उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर कोई व्यक्ति समाज से कुछ लेता है तो उसका दस गुना उसे समाज को देने का प्रयास करना होगा।अपने लगभग 20 मिनट के भाषण में उन्होंने मलखाचक बुलाए जाने के प्रति आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम को श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी,केंद्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय,श्री लक्ष्मनाचार्य जी महाराज,रवींद्र कुमार,महेंद्र प्रताप आदि वक्ताओं ने संबोधित किया।अतिथियों का स्वागत महेंद्र प्रताप ने व कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने किया।कार्यक्रम से पहले डॉ. अजित सिंह के आवासीय परिसर में शहीद श्रीनारायण सिंह की प्रतिमा का अनावरण भी किया।