बिहार दर्शन परिषद द्वारा उत्कृष्ट आयोजन हेतु स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग को किया गया सम्मानित
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग को किया गया सम्मानित
दरभंगा ब्यूरो
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा दर्शन परिषद, बिहार के 44 वें वार्षिक अधिवेशन का भव्य समापन किया गया। यह समापन कार्यक्रम कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के दरबार हॉल में किया गया। इस समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के माननीय कुलपति प्रोफेसर शशिनाथ झा ने की। मंच पर माननीय कुलपति के साथ दर्शन परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर पूनम झा , महासचिव श्यामल किशोर, डॉ महेश सिंह, डॉ नागेंद्र मिश्र, प्रोफेसर आई एन सिन्हा,प्रोफेसर रुद्रकांत अमर एवं आयोजन सचिव डॉ राजीव कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफेसर शिवानंद झा, आरएन कॉलेज, पंडौल के स्वागत भाषण और अभिनंदन के साथ हुआ। अतिथियों के स्वागत के उपरांत डॉक्टर संजीव कुमार साह द्वारा तीन दिवसीय अधिवेशन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। दर्शन परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर पूनम सिंह द्वारा मैथिली भाषा में इस अधिवेशन की महत्ता, उपयोगिता और सफलता के बारे में अपना मंतव्य रखा । उन्होंने मिथिलांचल की भूमि को प्रणाम करते हुए कहा कि मिथिलांचल की दार्शनिक परंपरा के प्रति मैं अपनी श्रद्धा अभिव्यक्त करती हूं। प्रोफेसर महेश सिंह ने अधिवेशन की सफलता पर सभी को बधाइयां दी और कहा कि दर्शन के विकास और समृद्धि के लिए इस प्रकार का अधिवेशन होना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है मुझे खुशी है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग इस दिशा में अपने उद्देश्य में सफल रहा ।
प्रोफेसर आई एन सिन्हा ने इस अधिवेशन में प्रस्तुत व्याख्यानमालाओं तथा संगोष्ठी में प्रस्तुत विचार-विमर्श की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार का अधिवेशन न केवल शिक्षकगण बल्कि शोधकर्ताओं के लिए भी लाभप्रद है। बिहार दर्शन परिषद के पत्रिका के संपादक प्रोफेशन नागेंद्र मिश्र ने गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रों के प्रस्तुतीकरण पर जोर देते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि इस अधिवेशन के तृतीय एवं चतुर्थ सत्र में प्रस्तुत शोध पत्रों में मुझे गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रों का दिग्दर्शन हुआ। इस अधिवेशन में प्रस्तुत गुणवत्तापूर्ण शोध पत्रों को हमारी पत्रिका में प्रकाशित किया जाएगा। इसके उपरांत बिहार दर्शन परिषद की पुस्तक कल, आज और कल का विमोचन हुआ। प्रतिभागियों में से मनीष कुमार चौधरी,मजबहीन परवीन ने अधिवेशन में अपना अनुभव साझा किया। महासचिव श्यामल किशोर ने छह विभागों में प्रस्तुत शोध पत्रों के आधार पर पुरस्कारों की घोषणा की। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग के विभागाध्यक्ष रुद्रकांत अमर द्वारा बिहार दर्शन परिषद के 44 वें वार्षिक अधिवेशन हेतु बिहार दर्शन परिषद को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह हमारे लिए गौरव का की बात है कि उन्होंने हम पर विश्वास रखा और इतने बड़े अधिवेशन की जिम्मेदारी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शन विभाग को दी इसके लिए हम सभी परिषद के आभारी है । कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर शशीनाथ झा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह गौरव की बात है कि मिथिलांचल की भूमि में बिहार दर्शन परिषद के 44 वें वार्षिक अधिवेशन का आयोजन हुआ जिसमें मिथिला के दार्शनिक परंपरा पर विशेष रूप से संगोष्ठी आयोजित की गई । आज के समापन सत्र के भव्य एवं सफल आयोजन हेतु मैं सभी को बधाई देता हूं । आयोजन सचिव डॉ राजीव कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का सफल मंच संचालन डॉ शशांक शुक्ला ,सी एम महाविद्यालय, दरभंगा द्वारा किया गया। दर्शन परिषद, बिहार के 44 वें वार्षिक अधिवेशन के सफल आयोजन हेतु बिहार दर्शन परिषद के द्वारा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग को सम्मानित किया गया