शाम ढलते ही मिथिला के गांव और शहरों में गूंजने लगती है सामा चकेबा की गीत,
शाम ढलते ही युवतियों की टोली डाला लेकर गीत गाती
मधुबनी
मिथिला मैं इन दिनों भाई बहनों की पवित्र पर्व सामा चकेवा गांव के दरवाजे, सार्वजनिक स्थानों और देव मंदिरों के परिसर में शाम ढलते ही युवतियों की टोली डाला लेकर गीत गाती हुई देखी जा रही है। छठ पर्व के बाद मिथिला के गांव में महिलाओं युक्तियों के द्वारा भाई बहनों के स्नेह प्रेम मंगल कामना के भाव से मनाई जा रही सामा चकेवा काफी उत्साह पुर वातावरण में मनाया जा रहा है।यूं तो सम्पूर्ण भारत में भाई-बहनों के स्नेह का एकमात्र पर्व रक्षाबंधन ही मनाया जाता है, लेकिन मिथिला में भाई-बहनों के आपसी सम्बन्धों को प्रगाढ़ व स्नेहसिक्त करने के लिए दो और पर्व सदियों से मनाया जाता रहा है। ये पर्व मिथिला में ‘भ्रातृ द्वितीया’ व ‘सामा- चकेवा’ के नाम से मनाया जाता है और भाई-बहनों के पवित्र व घनिष्ठ सम्बन्धों को चरितार्थ करता है। मिथिला सदियों से अपनी सभ्यता, संस्कृति, पर्व-त्यौहार, व अपने पुनीत परम्पराओं के लिए सुप्रसिद्ध रहा है। इसी कड़ी में भाई-बहन के असीम स्नेह का प्रतीक व लोकआस्था का पर्व सामा-चकेवा काफी हर्षोल्लास से कार्तिक शुक्ल पंचमी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र हर गली मोहल्ले में सामा-चकेवा के गीत शामढलते गुंजायमान हो रहे हैं।
यहां भाइयों के कल्याण के लिए बहनें यह पर्व सदियों से मनाती चली आ रही हैं। सम्भवतः यह पर्व द्वापर युग के कृष्णकालीन समय से ही चलन में है, जिसकी चर्चा कई शास्त्र पुराणों में वर्णित है। सामा चकेवा पर्व के बारे में कहा जाता है कि इस पर्व में बहनें कार्तिक शुक्ल पंचमी की रात्रि से प्रतिरात्री कार्तिक पूर्णिमा तक बांस से बने बर्तन जिसे मिथिलांचल में चंगेरा कहते हैं उसमें सामा-चकेवा, चुगला, सतभैया को सजाकर पारम्परिक लोकगीतों के जरिये भाइयों के लिए मंगलकामना करती हैं। और कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को जोते हुए खेत में सामा-चकेवा का विसर्जन कर उन से पुनः अगले साल आने की अपेक्षा लोकगीतों के माध्यम से करती हैं, और भाइयों को नया चुरा और गुड़ भेंट स्वरूप प्रदान कर उनके दीर्घायु की मंगलकामना करती हैं। सबसे बड़ी बात है कि शहरीकरण व आधुनिकीकरण के इस युग में भी मिथिलांचल के लोग अपने पर्व-त्योहारों को मनाने की अक्षुण्ण परम्पराओं को जीवंत बनाये हुए हैं। यह पर धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है इसीलिए पढ़ने अपने भाई के सुख समृद्धि के लिए मनाती हैं।