समाज के हर वर्ग के बच्चा बच्चा विद्यापति रचित गीत को विभिन्न अवसरों पर गाते हैं::- पूर्व मंत्री समीर महासेठ

कार्यक्रम का उद्घाटन करते पूर्व मंत्री
मधुबनी
रहिका में विद्यापति द्वारा रचित मैथिली में लिखी गई रचना देश ही नहीं विदेश में रह रहे लोगों के बीच आज सुलभता से पहुंच हुई है।मैथिली मिथिला के भाषा के रुप में जाने जाती है।जिस समय समाज में एकता का घोर आभाव,जाति भेद भाव बढ़ रही थी।उस समय समाजिक भाषा के महत्व को देखते हुये मैथिली में गीत की रचना कर समाजिक एकता ,प्रेम,अपनी संस्कृति, की रक्षा को भाषा में बांधने में सफलता प्राप्त की। यह उदगार व्यक्त करते हुये बिहार सरकार के पूर्व उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने कही।उन्होंने कहा मैथिली भाषा में लिखी गई गीत को लोगों ने अपनाया ।उन्होंने तीन भाषा में पुस्तक की रचना की ।जिसमें संस्कृत,अवहट्ठ ,और मैथिली लेकिन विद्यापति मुख्य रुप से मैथिली भाषा के रुप में जाने जाते हैं।यह उदगार प्रकट करते हुये मैथिल समाज रहिका के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह के उदघाटन के अवसर पर कही।उन्होंने बताया कि जिस समय समाजिक अराजकता, भाई भाई में कलह, जारी था.उस.हमय स्नेह,अनुराग,का वातावरण कायम कर सामाजिक चेतना जगाने का काम किया।आज.समाज के हर वर्ग के बच्चा बच्चा विद्यापति रचित गीत को विभिन्न अवसरों पर गाते हैं।यह सौभाग्य की बात है कि आज से.सात सौ वर्ष पूर्व मैथिली भाषा का उत्थान, संरक्षण, संवर्धन ,संस्कृति आपसी प्रेम सदभावना को बनाये रखने केलिए अपनी भाषा की महत्ता को जाना।इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष सुमन कुमार महासेठ,सचिव शितलांबर झा,साहित्यकार उदयचंद्र झा विनोद,पवन झा,हिरा झा,मुरारी झा,कामे कामत,चंद्रकिशोर मंडल, राजेन्द्र यादव,भवेश झा, ज्योति रमन झा,वैधनाथ चौधरी बैजू, ऋषिदेव सिंह,डा। पंकज कुमार झा,.इंद्रकला देवी, डा.इंद्रमोहन मिश्र ,शशिधर झा,भोला झा,अवधेश कुमार झा सहित अन्य उपस्थित थे।