भगवती की कृपा पाने का सहज व सुगम पथ है भक्तिमार्ग-प्रो.:–जयशंकर
कार्यक्रम में शामिल
बेनीपट्टी
सत्संग और कुसंग क्रमशः कल्याण और पतन के मार्ग हैं। सत्संग से जुड़कर युवा कर सकते है चरित्र निर्माण।भक्तियोग से हमारी आध्यात्मिक यात्रा किसी पालकी पर बैठने जैसा है जहाँ खुद चले बिना भी हम गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। ज्ञानयोग और अष्टांग योग से की गई यात्रा क्रमशः हाथी और घुड़सवारी करने जैसा है। इनमें सवार को निरंतर सावधान रहने की आवश्यकता होती है अन्यथा पतन का भय बना रहता है।उपर्युक्त बातें जगदंबा पूजा कमिटी,जरैल द्वारा भगवती स्थान में आयोजित कथा ज्ञान यज्ञ में देवी भागवत की व्याख्या करते हुए भागवत मर्मज्ञ प्रो.जयशंकर झा ने कहीं।आगे प्रो.झा ने कहा कि जैसे भ्रूण माँ के गर्भ में बिना मांगे सब कुछ प्राप्त कर लेता है उसी तरह भक्त भी जगन्माता से जुड़कर अपने सारे मनोरथों को पा लेता है। देवी भागवत के आख्यानों को सुनाते हुए आचार्य प्रो.जयशंकर झा ने इसके माध्यम से इन्द्रियनिग्रह की आवश्यकता को आज के युग की सबसे जरूरी बताया।खासकर युवाओं के चरित्र निर्माण के लिए इसे अनिवार्य बताते हुए अधिक से अधिक युवाओं को सत्सङ्ग से जुड़ने की अपील की। कथा के दौरान बेनीपट्टी के विधायक सह पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा,पूर्व विधायक भावना झा,कला संस्कृति एवं युवा विभाग के राज्य परामर्शदात्री सदस्य उज्ज्वल कुमार सहित कई गणमान्य लोगों ने व्यासपीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया।विदित हो कि प्रख्यात कथावाचक प्रो.जयशंकर झा नवरात्रा के दौरान व्यासपीठ से प्रवचन के अलावे शक्ति संचय की दृष्टि से मौनव्रत में रहते हैं।