अनुकरणीय है देवी भागवत के ज्ञान सत्र से देवी को रिझाना : – विनोद नारायण झा
कार्यक्रम में शामिल हुए विधायक
बेनीपट्टी
भगवती के विविध नाम,रूप एवं महिमा के रहस्य को समझने के लिए देवी भागवत आकर ग्रन्थ है।विद्वान वक्ता के श्रीमुख से पूरे नवरात्र इसके सत्संग प्रवचन का आयोजन कर जरैल ग्राम वर्षों से आदर्श उपस्थित करता रहा है। जगदंबा पूजा कमिटी द्वारा जरैल भगवती के प्रांगण में चल रहे देवी भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन दीप प्रज्वलित कर बेनीपट्टी के विधायक सह पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि आराधना के इस महापर्व को मनोरंजन या तमाशा बनाने वालों को जरैल से सीखना चाहिए। उन्होंने कथा व्यास प्रो.जयशंकर झा से अपने प्रगाढ़ परिचय को व्यक्त करते हुये उनकी विद्वता को नमन किया। आज कात्यायनी रूप की व्याख्या करते हुए आचार्य जयशंकर ने स्कन्दमाता तक के पांच स्वरूप को पर्वतराज पुत्री पार्वती के ही भिन्न भिन्न अवस्थाओं का निरूपक बताया । तदनुसार शैलपुत्री ही तपोरत होकर ब्रह्मचारिणी हैं।शिव के प्रति अपनी अटूट निष्ठा से उन्हें पति रूप में प्राप्त कर वे अर्धचन्द्र से शृंगार करती हैं। देवी का चन्द्र घंटा रूप शिव के लिए शृंगार परक तो असुरों के लिए अत्यंत भयंकर है।पराक्रम की प्रतीक माता चन्द्रघंटा जब अन्धकार से आच्छादित ब्रह्माण्ड में उष्मा और प्रकाश का संचार कर नवजीवन का सृजन करती हैं तो कूष्माण्डा कहलाती हैं। प्रेम और करुणा की प्रतीक कूष्माण्डा ही कुमार कार्तिकेय की जननी बनकर स्कन्दमाता कहलाती हैं।स्कन्द अर्थात् कार्तिकेय की माता बनकर तारकासुर के आतंक से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली स्कन्दमाता है। इनकी पूजा नि:संतान दम्पतियों के मनोरथ को पूरा करने वाली होती हैं। कात्यायनी भी पार्वती पद वाचक है। बालरूप में इस देवी को ऋषि कात्यायन द्वारा प्राप्त किये जाने पर इन्हें कात्यायनी कहा गया। गोपियों ने कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए इनका ही आराधन किया था।आज की कथा में कृष्ण जन्म के प्रसंग को सुनाते हुए काली और कृष्ण के अभेद पर तात्विक प्रकाश डाला गया। आज पारस पंकज,सविता चौधरी तथा जरैल की ही जया के सुमधुर भजनों से श्रोता अभिभूत होते रहे। चन्द्रमणि के तबला वादन और बिन्दु के पैड के साथ वृन्दावन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत झांकियों ने समा बांध दिया।