पेट पालने की मजबूरी, बिहार के प्रवासी मजदूर पलायन कर रहे दूसरे राज्य में जाना मजबूरी
रेलवे स्टेशन पर प्रदेश जाने का इंतजार करते मजदूर
जयनगर
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय समस्तीपुर मंडल और भारत के नेपाल बॉर्डर से सटे सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक जयनगर रेलवे स्टेशन पर फिर से चहल-पहल लौटने लगी है। स्टेशन पर अब मुसाफिरों की भारी तादाद फिर से आने लगी है। ये मुसाफिर वापिस शहर की तरफ जाने वाले हैं, जो कि तड़के सुबह 6 बजे से दोपहर के 3 बजे तक स्टेशन पर आ जाते हैं ताकि अमृतसर पंजाब, दिल्ली, मुंबई, सूरत, लुधियाना जैसे महानगरों के लिए अपने ट्रेनों को पकड़ सकें।सुबह 7 बजे इन महानगरों की तरफ जाने वाली दो ट्रेन जयनगर रेलवे स्टेशन से रोज खुलती हैं, जिस पर बिहार के मधुबनी,दरभंगा जिलों के यात्री सवार होकर भीषण गर्मी दिनों में भी ‘बाहर कमाने’ के लिए जा रहे हैं। जिनको ट्रेन का टिकट नहीं मिलता है, वे यहां से चलने वाले प्राइवेट स्लीपर बसों से बड़े शहरों की तरफ जा रहे हैं। पूरे जून महीने तक के रेलवे के अधिकांश टिकट बुक हो चुके हैं और लगभग 100 का वेटिंग है, इसलिए इन प्रवासियों को प्राइवेट बसों का सहारा भी लेना पड़ रहा है। पलायन करने वाले इन यात्रियों के हाथों में वही बैग है, जो वे लॉक डाउन के दौरान शहरों से खाली लेकर वापस आए थे। हालांकि इस बार उनके खाली बैग भरे हुए हैं और साथ में पीले या सफेद रंग का बोरा भी है, जिसमें लगभग एक या दो महीनों के खाने-पीने के सामान और राशन भरे हुए हैं। मन की के बातों में घर ना रूक पाने की निराशा होती है। प्रत्येक दिन जयनगर रेलवे स्टेशन से हजारों कि जनसंख्याओं में माबूर मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में गांव से शहरों की तरफ जाते हैं। शायद वहां पेट पालने के लिए रोजी-रोटी तो मिल सकेगी।” जाना तो पड़ेगा ही, गांव में रहकर क्या ही करेंगे। पलायन करने वाले प्रवासी राधे कुमार साफी कुआढ जयनगर ने बताया कि राज्य सरकार हमारे लायक कोई काम दे तो हम जरूर नहीं जाएं परदेस।”हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर पिछले 1 सप्ताह में पंजाब, हरियाणा, मुंबई और गुजरात के लिए ट्रेन और बस के माध्यम से रवाना हो चुके हैं और रोजाना हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन जारी है।बिहार के प्रवासी मजदूरों का दोबारा से अन्य राज्यों में पलायन शुरू हो चुका है। बिहार के विभिन्न जिलों से प्रवासी मजदूरों का देश के अन्य राज्यों में जाने का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है।केवल पंजाब ही नहीं देश के दूसरे राज्यों की औद्योगिक इकाइयां भी प्रवासी मजदूरों के दम पर चलती हैं। एक समय पंजाब की कृषि व्यवस्था बिहार और पूर्वी यूपी के प्रवासी मजदूरों के भरोसे थी। आज भी कई राज्यों के उद्योग प्रवासियों के सहारे चलते हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगर ये अपने-अपने प्रदेश लौटे तो पंजाब की कृषि व्यवस्था में कामगरोें की संख्या घट सकती है और इससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिन शहरों या इलाकों से सबसे ज्यादा प्रवासी बड़े शहरों की ओर जाते हैं। बिहार के आठ जिलों में मधुबनी, दरभंगा, गोपालगंज, सीवान, सारण, शेखपुरा, भोजपुर, बक्सर और जहानाबाद शामिल हैं। जयनगर रेलवे स्टेशन पर पंजाब कि तरफ पलायन करने वाले प्रवासी मजदूर देवचंद्र दास लक्ष्मीपुर खजौली निवासी ने बताया कि हम लोगों को अपने प्रदेश छोड़कर पंजाब जाने पर मजबूर हैं, क्योंकी गांव में नहीं हो सकेगा गुजारा।