मैथिली साहित्यकार डॉ कमलकांत झा का निधन,साहित्य जगत में शौक कि लहर
फाइल फोटो डॉ कमल कांत झा
जयनगर
जिले के जयनगर निवासी साहित्यकार लेखक डॉ. कमलकांत झा का बुधवार को ब्रेन हैमरेज होने से निधन हो गया। जानकारी देते उनके छोटे पुत्र रत्नेश झा ने बताया कि डॉ कमलकांत झा का निधन गुरुवार को सुबह 9:30 बजे 82 साल कि उम्र में दिल्ली के निजी मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। गुरुवार को अंतिम संस्कार दिल्ली के गाजीपुर के शमशानघाट में उनके बड़े पुत्र रमेश झा ने मुख आग्नि देकर किया गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन का सामाचार फैलते ही साहित्य और प्रबुद्ध समाज में शौक कि लहर फैल गई हैं। सेवा निवृत शिक्षक नारायण यादव ने भावुक होते हुए कहा कि कमलकांत बाबू के निधन से मैथिली ने अपना अनन्य सेवक और उन्होंने अपना आत्मीय सुभेक्षु सहयोगी एवं मार्गदर्शक खो दिया। मैथिली के लिए उनके मन में जो त्याग कि भावना थी वह दूसरों में कम ही दिखाई देती हैं। उन्होंने सैकड़ों लोगों को मैथिली और साहित्य कि ओर उन्मुख किया। मधुबनी जिले समेत पूरे प्रदेश के साहित्यकारों और कवियों ने डॉ कमलकांत झा के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने अपने पीछे 75 वर्षीय धर्मपत्नी श्रीमती शैल झा,रत्नेश झा पुत्र उम्र- 53,रमेश झा पुत्र-55 ,अनिता झा पुत्री-50 उनका जन्म 29 मार्च 1943 को मधुबनी जिले के कलुआही प्रखंड क्षेत्र के हरिपुर डीह टोल में हुआ था। उनकोभारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत साहित्य अकादमी द्वारा मैथिली भाषा में उनकी रचना “गाछ रूसल अछि” के लिए साहित्य अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष 2020 के लिए उन्हें पुरस्कार मिला । नाम चयन की घोषणा 12 मार्च 2021 को ही हो गया था लेकिन कोविड-19 के कारण विषम परिस्थितियों को देखते हुए कार्यक्रम देर से यानि 18 सितंबर 2021 को आयोजित किया गया है। भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के दूरदर्शन भवन के समीप कोपरनिकस मार्ग पर स्थित कमानी सभागार में उन्हें स्मृतिचिह्न भेट कर, प्रशस्ति सम्मान पत्र, पुरस्कार राशि(1 लाख ₹) उन्हें मिला । मधुबनी जिले के क्षेत्र से साहित्य अकादमी का पुरस्कार जयनगर मे पहली बार किसी विद्वान को मिला और यह जयनगर तथा पूरे जिले वासियों के लिए गौरव की बात बनी । जयनगर आर्य कुमार पुस्तकालय के ज्योत्स्ना मंडल के सक्रिय सदस्यों में रहने वाले डॉ कमलकांत झा साहित्य के क्षेत्र में अनेकों कार्यक्रम जयनगर आर्य कुमार पुस्तकालय में आयोजित करवायें जिसमे “”सगरो रात्रि दीप जलय”” कार्यक्रम प्रशंसनीय व ऐतिहासिक रहा है। उनके निधन पर युवा समाजसेवी धर्मेन्द्र भारद्धाज उर्फ बौआ झा ने कहा कि हम युवा वर्ग को इनसे लेखन की दुनियाँ में समय व्यतीत करने का प्रेरणा मिला है। वे इस उम्र में भी साहित्यिक गतिविधियों में पूर्ण रूप से सक्रिय थे और हम युवाओं को साहित्य के प्रति प्रेरित करते रहते थे।इसके निधन पर खजौली विधान सभा क्षेत्र के विधायक अरुण शंकर प्रसाद नारायण यादव,बिमल मस्करा,सुरेंद्र प्रसाद,मुख्य पार्षद कैलाश पासवान,अरुण जैन,सुमन शर्मा,हनुमान मोर, ब्रज मोहन रूंगटा, डॉ महेंद्र कुमार,कपिल देव कुंवर,श्याम किशोर सिंह अधिवक्ता,प्रोफेसर कृष्ण कांत झा,हरिश्चंद्र नायक,धर्मेंद्र भारद्वाज उर्फ बौआ झा समेत अन्य ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त किया।